Tuesday 27 November 2012

Jan-Aahar Kendra at rural and remote areas across India to provide essential daily need food items price up to 15% lower than market maintaining the best quality at Jan-Aahar Kendra after the necessary approval from the respective authorities. Jan-Aahar has been registered (ACompany duly incorporated Under Indian Companies Act ,1956(Manufacturer & Services Provider) JAN-AAHAR mission is to win the confidence and preference of the costumers and improving farmer's conditions of India.
In respect of services :- Wholesale & Retail Of cheep Grains Store, wholesale kiranaShoppee Servicesin the field of cunsumer goods and all being services included in class - 35.
Jan-Aahar Bikri Kendra for urban and semi-urban areas across India to provide consumer unadulterated, essential food items like Rice, Refined Oil, Dal, Sugar,Salt ,Besan, Tea, Masale etc at price up to 15% lower than the market.
दिल्ली के सभी क्षेत्रों में जन आहार बिक्री केंद्र पर आज की मंहगायी को   मद्देनजर रखते हुए न्यूनतम भाव से चीनी, दाल, चावल, खाध्य तेल एवं अन्य जीवन आवश्यक वस्तुएं देने की सुविधा देने हेतु जन आहार बिक्री केंद्र की नियुक्ति शुरू की गयी है जन आहार बिक्री केंद्र Ministry of corporate Affairs द्वारा पंजीकृत एकमात्र कंपनी है जो मंहगाई से राहत दिलाती है / दिल्ली राज्य में जन आहार बिक्री केंद्र की नियुक्ति नवम्बर 2012 से शुरू की गयी है /
बिक्री केंद्र चलाने हेतु इच्छुक सभी उम्मीदवार अपना आवेदन 15 दिसम्बर 2012 से पहले जन आहार कार्यालय से प्राप्त कर, आवेदन कर सकते है आवेदन पत्र के साथ अपना पहचान पत्र, एड्रेस प्रूफ की प्रतिलिपि तथा 3 फोटोग्राफ कार्यालय में सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक जमा कराये /15 दिसम्बर के पश्चात किसी भी आवेदन पर किसी प्रकार भी विचार नहीं किया जायेगा /
चीनी, दाल और सब्जियों के बढ़ते दामों के कारण अक्टूबर 2012 में रिटेल महंगाई दर 9.75 प्रतिशत रही.
शहरों के मुकाबले गांवों में महंगाई ज्यादा रही. शहरों में महंगाई दर 10 प्रतिशत पर पहुंची और गांवों में महंगाई दर 9.5 प्रतिशत से थोड़ी ही कम रही.
लोगों पर सबसे ज्यादा मार चीनी से पड़ी है. अक्टूबर 2011 के मुकाबले अक्टूबर 2012 में चीनी के दाम 20 प्रतिशत बढ़े.
अक्टूबर 2012 में खाने का तेल 18 प्रतिशत महंगा हो गया. दालों के दाम 15 प्रतिशत बढ़े. अक्टूबर 2012 में सब्जियां भी 11 प्रतिशत तक महंगी हो गई.

पिछले कुछ महीने की नरमी के बाद महंगाई ने एक बार फिर सिर उठाया है और फरवरी में यह बढ़कर 6.95 फीसदी पर पहुंच गई जबकि जनवरी में महंगाई की दर 6.55 फीसदी थी। लेकिन इन आंकड़ों पर विस्तार से नजर डालने के बाद आरबीआई को नीतिगत दरों में कटौती की बाबत दुविधा के संकेत मिल सकते हैं, जो गुरुवार को मौद्रित नीति की समीक्षा करेगा।
गुरुवार को जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, एक ओर जहां खाद्य महंगाई महज एक महीने की अवधि में 6 फीसदी से ज्यादा बढ़ी, वहीं विनिर्मित उत्पादों की कीमतें फरवरी में गिरकर 5.75 फीसदी पर आ गई। जनवरी में यह 6.49 फीसदी थी। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि मौद्रिक नीति ज्यादातर विनिर्मित उत्पादों की महंगाई के हिसाब से चलती है, लेकिन खाद्य महंगाई को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने स्वीकार किया कि महंगाई का दबाव है, लेकिन उन्हें भरोसा है कि वित्त वर्ष के आखिर में कीमतों में बढ़ोतरी 6.5 फीसदी के आसपास रहेगी। ज्यादातर अर्थशास्त्रियों का मानना है कि विनिर्मित उत्पादों की महंगाई नीचे आई है, लिहाजा आरबीआई को नीतिगत दरों में कटौती से हिचकिचाना नहीं चाहिए। हालांकि फरवरी में गैर-खाद्य विनिर्मित उत्पादों की महंगाई घटी है। आईसीआरए की अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा - ऐसे हालात में कच्चे तेल की ऊंची कीमतें महंगाई पर दबाव बढ़ा रही है, जो चिंता की बात है। ऐसे में उन्हें उम्मीद है कि आरबीआई रीपो दरों को अपरिवर्तित रखेगा।www.janaahar.com
एक अन्य विशेषज्ञ का मानना है कि महंगाई के ताजा आंकड़े आरबीआई को नीतिगत दरों को अपरिवर्तित रखने को प्रोत्साहित कर सकते हैं, बावजूद इसके कि आर्थिक विकास दर और नीचे आने की संभावना है।
कासा ग्रुप के निदेशक सिद्धार्थ शंकर ने कहा - खाद्य महंगाई में बढ़त जारी रहेगी और इसके साथ ही र्ईंधन की महंगाई भी। इस साल की तीसरी तिमाही में खाद्य कीमतें नरम होंगी, पर मुझे उम्मीद है कि ईंधन की महंगाई तेजी से बढ़ेगी। खाने-पीने की बदलती आदतों के चलते महंगाई बढ़ रही है और वित्तीय कदम भी इसे नहीं रोक सकते।